SEX - WHY ALL CRAZY FOR SEX, SEX ...... XXX
WHY A GIRL CRAZY FOR SEXSEX OR LOVE - IS THE GOAL, DESTINATION OR MANJIL OF LOVE IS SEX.
IS ALL LOVE STORY END ON SEX
XXXXXXXXXXXXXX PORN STORIES
WHY A PERSON IS SEEING NUDE PICTURES, HOT VEDIOS OR DOING MENTAL SEX, WHILE THE SEX ORGANS OF A MALE OR FEMALE HAVE NOT ANY INTEREST IN NUDE PICTURES OR PORN VEDIOS.
THEN WHAY A HUMAN BEING IS DOING THAT ????????/
सेक्स या सम्भोग - वैसे तो हम अर्थात मनुष्य बहुत तरह के सम्भोग करता है , किसी भी वस्तु का भोग करना , भोग अगर इस तरह किया जाये की वह योग बन जाये। और असल में योग तब होता जब उसका भोग किया जाये।
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जब कोई व्यक्ति सम्भोग करता है तो वह एक ऐसे छन पर पहुंचता है जब वह शुन्य में पहुँच जाता है उसके लिए उस छन में वक्त रुक जाता है वह अहंकारशून्य हो जाता है वही वह पल है जिसे व्यक्ति बार बार पाना चाहता है उस पल में उसे जो आनंद प्राप्त होता है वही परमानन्द है, उस पल में व्यक्ति परम आत्मा के नजदीक होता है इसीलिए उस पल को यह जीव बारम्बार प्राप्त करना चाहता है,
कोई पुरुष किसी महिला को या कोई महिला किसी पुरुष को नहीं वरन उसी पल को पाने के लिए व्याकुल रहते हैं, जिसके लिए स्त्री को पुरुष का और पुरुष को स्त्री का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए स्त्री पुरुष एकदूसरे की तरफ आकर्षित रहते है और एक दूसरे को पाना और भोगना चाहते हैं।
A MAN WHEN SEE A BEAUTIFUL YOUNG LADY OR GIRL HE WANT TO GET HER HE WANT TO LOVE HER AND FINNALY HE WANT TO HAVE SEX WITH HER, SIMILARLY WHEN A LADY OR WOMAN SEE A HANDSOME YOUNG BOY OR GENTLEMAN, SHE ALSO WANT TO LOVE HIM AND SHE ALSO WANT TO HAVE SEX WITH HIM, BUT SOME CULTURAL, SOCIAL, AND INDIVIDUALS RESTRICTIONS ARE OTHER MATTER. HERE I AM TALKING ABOUT A NATURAL ATTRATION AND DESIRE TO HAVE SEX.
WHAT IS THE SECRET THING THAT WORKS BEHIND IT WHY ALL CRAZY FOR DOING SEX.
WHETHER SEX IS BAD AND WORSE ACTIVITY OR NOT?
YA WHEN A COUPLE DO SEX, AND AT THE TIME OF THEIR DISCHARGE OR WHEN THEY REACH ON PEAK "CHARMOTKARSH" AT THAT SMALLER BIT OF TIME THEY GET THE THING FOR WHAT THEY ARE LUSTREOUS FOR SEX, AT THAT TIME THEY REACHED IN THE TIMELESS ZONE, AT THAT TIME THEY HAD FORGOTTEN THEMSELVES,
स्त्री पुरुष एक दूसरे को पाना चाहते है क्योंकि प्राणी उस आनंदमयी पल को बार बार पाना चाहता है उसी आननदमयी पल, उस आनंद को व्यक्ति पाना चाहता है उसी पल में वह अहंकारशून्य , विचारशून्य , हो जाता है उस वक्त उसके लिए समय रुक जाता है और वह खुद को भी भूल जाता है और उसे असीम आनंद प्राप्त होता है वही आनंद जो परमात्मा के मिलान से प्राप्त होता है वही सचिदानंद है। परमपिता परमेशवर सचिनदानन्द है.. और व्यक्ति उसी आन्दद को प्राप्त करना चाहता है। और इसलिए परनि सेक्स - सम्भोग करना चाहता है
परन्तु इसके लिए व्यकित को दूसरे साथी की जरुरत होती है,
स्त्री पुरुष एक दूसरे को पाना चाहते है क्योंकि प्राणी उस आनंदमयी पल को बार बार पाना चाहता है उसी आननदमयी पल, उस आनंद को व्यक्ति पाना चाहता है उसी पल में वह अहंकारशून्य , विचारशून्य , हो जाता है उस वक्त उसके लिए समय रुक जाता है और वह खुद को भी भूल जाता है और उसे असीम आनंद प्राप्त होता है वही आनंद जो परमात्मा के मिलान से प्राप्त होता है वही सचिदानंद है। परमपिता परमेशवर सचिनदानन्द है.. और व्यक्ति उसी आन्दद को प्राप्त करना चाहता है। और इसलिए परनि सेक्स - सम्भोग करना चाहता है
परन्तु इसके लिए व्यकित को दूसरे साथी की जरुरत होती है,
परन्तु यह आनंदमयी पल को पाने का पहला यानि निचला स्रोत है जहां दूसरे की आवस्यकता है। सेक्स का पहला यानि सबसे नीचे का ताल है मूलाधार सेक्स करने के लिए दूसरे की जरुरत होती है और सेक्स करने से जिस आनंद की प्राप्ति होती है जब व्यक्ति विचारशून्य, अहंकारशून्य और TIMELESS ZONE में पहुंच जाता है। यहां दूसरे की SECOND PERSON की जरूरत है। परन्तु इस आनंद दो पाने के लिए दूसरे ताल यानि दूसरे स्रोत पर दूसरे की SECOND PERSON की जरुरत खत्म हो जाती है आप अकेले ही काफी हो जाते हो।
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