कैसे हो काम ( वासना ) से मुक्ति और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति
हमारी सेक्स ऊर्जा अभी निचे की तरफ बाह रही है इसका बहाव अभी अधोमुखी है और इस तरह हम सेक्स ऊर्जा को और इस शक्ति को व्यर्थ में खो रहे है। यदि हम अपनी सेक्स एनर्जी को उधर्वमुखी कर ले तो हमें इस ऊर्जा को खोना नहीं पडेगा और इस तरह हम सेक्स एनर्जी को रचनात्मक कार्यों में प्रयोग कर पाएंगे। जब यह शक्ति ुधरावमुखी अर्थात ऊपर की और जाने लगेगी तो सेक्स के निचले तल पर जो आनंद प्राप्ति के लिए हमें दूसरे साथी पर निर्भर रहना परता था अब वही आनंद सेक्स के दूसरे तल पर आपको बिना सेक्स किये ही प्राप्त होगा। तो हमें अपनी सेक्स एनर्जी को ुधरव्गामान की यात्रा पर भेजना होगा। और जैसे जैसे यह शक्ति ऊपर को तरफ उठने लगेगी तो आनंद का वह पल जिसके लिए स्त्री पुरुष एक दूसरे को पाने को व्याकुल रहते है और जो बहुत कम समय के लिए होता है. उस पल की अवधि बढ़ने लगेगी अब आप आनंद के उस पल को अधिक से अधिक समय के लिए पा सकेंगें। लेकिन अब प्रश्न ये है की इस शक्ति का उधर्वगमन कैसे हो ?
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जैसा की भगवन रजनीश (ओशो ) ने सूत्र दिया है। वर्तमान में जिए वर्तमान के उसी पल में रहें जो आपके पास हे जो पल अभी आप जी सकते है उसी पल में रहें न तो भूत काल में बिताए हुए सेक्स के उन लम्हों को याद करें और अपनी काम वासना को भड़काएं और न ही भविस्य में सेक्स की कल्पनाएं करें। केवल वर्तमान में ही रहें। इस तरह आप अपनी सेक्स ऊर्जा को ऊधर्वगामी कर पाएंगें और यदि वर्तमान में कुछ सेक्स के लम्हें आ जाते है तो अपने अंदर झाकेँ और जननेन्द्रिय और गुदा को अंदर की तरफ खींचे और सहस्रार चक्र की और देखें जिस प्रकार अश्विनी मुद्रा की जाती है।
प्राकृतिक तरीके से सेक्स करना उतना बुरा नहीं है जितना बुरा सेक्स के बारे में सोचना , सेक्स का चिंतन करना सेक्स का चिंतन बहुत बुरा है ऐसा करके आप अपनी काम ऊर्जा को अधोमुखी करते है जो व्यर्थ जाती है। काम वासना की ऊर्जा को कभी भी दबाना नहीं चाहिए उसे रूपांतरित कर दें। जितना सुख सेक्स में मिलता है अगर आप उससे ज्यादा आनंद और उससे ज्यादा महत्त्व की वास्तु पा लें तो सेक्स का महत्त्व काम हो जायेगा। जाव किसी का भी महत्त्व काम हो जाता है तो वह छूट जाता है। इसलिए आप आनंद के दूसरे तल पर जायेंगें तो काम वासना से मुक्ति मिल जाएगी। जब कोई ज्यादा महत्व की वास्तु मिल जाये तो काम महत्व वाली वास्तु खुद ही छूट जाती है।
काम वासना से मुक्ति है काम ऊर्जा का उधर्वगमन, जब दूसरे तल पर आनंद प्राप्त होने लगेगा जब मूलाधार चक्र जाग्रत हो जायेगा और जब मूलाधार चक्र जाग्रत हो जायेगा तो ऊपर की यात्रा शुरू हो जाएगी और फिर ये आनंद बढ़ता ही जायेगा और जब बड़ा आनंद मिल जायेगा तो सेक्स के तल पर मिलने वाले आनंद का कोई महत्व नहीं रह जायेगा और स्वतः ही काम वासना से मुक्ति मिल जाएगी और ब्रह्चर्य की यात्रा शुरू हो जाएगी।
काम वासना से मुक्ति है काम ऊर्जा का उधर्वगमन, जब दूसरे तल पर आनंद प्राप्त होने लगेगा जब मूलाधार चक्र जाग्रत हो जायेगा और जब मूलाधार चक्र जाग्रत हो जायेगा तो ऊपर की यात्रा शुरू हो जाएगी और फिर ये आनंद बढ़ता ही जायेगा और जब बड़ा आनंद मिल जायेगा तो सेक्स के तल पर मिलने वाले आनंद का कोई महत्व नहीं रह जायेगा और स्वतः ही काम वासना से मुक्ति मिल जाएगी और ब्रह्चर्य की यात्रा शुरू हो जाएगी।



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