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adhyatma: aadi to anta

adhyatma: aadi to anta: What was in the begging when there was nothing.       IS GOD WAS THERE? WHAT WAS when nothing was there. Was time exits forev...




in the world of so fast technology it seems to be impossible to live without a gadget. here are the list of mobiles and accessories Without A mobile go click the link and find suitable gadget for you.   

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SEVEN CHAKRAS - ADHYATMA AUR YOGA

सात चक्र  SEVEN CHAKRAS THE MYSTEREOUS POWERS IN HUMAN YOGA AND MOKSHA हमारे शरीर में सात चक्र है, जिनसे अलग अलग शक्तियां जुड़ी हुई है।  इन चक्रों से शरीर के अलग अलग कार्य भी सम्बंधिन है,  इन चक्रों से ही अलग अलग बीमारियां बी सम्बंधिन है, हम इन चक्रों को शुद्ध करके इनसे जुड़ी हुई बिमारियों को ठीक कर सकते है.  हमारे शरीर में एक कुंडली शक्ति है जो मूलाधार चक्र के नीचे सुप्त अवस्था  में  है  और वह शक्ति अधोमुखी है।    जब यह शक्ति जागरित अवस्था में आती है तो कुंडलिनी शक्ति उधर्व मुखी होकर इन सातों चक्रों को भेदती हुई ऊपर की तरफ चलने लगाती है, जैसे जैसे कुंडलिनी चक्रो को भेदती हुई ऊपर की तरफ गमन करती है तो जिस भी चक्र को भेदती है वह चक्र जागृत हो जाता है और उस से सम्बंधित शक्तिया साधक को प्राप्त हो जाती है। कुंडलिनी की यह यात्रा सातवे चक्र पर जाकर समाप्त होती जोकि ब्रह्मरन्ध्रा चक्र है जब यह चक्र जागृत हो जाता है तो साधक शिव रूप हो जाता है वह स्वयं ब्रह्म हो जाता है जैसा की भगवन बूढ़ा ने कहा था जब वह स्मति से जागे थे तो सबसे पहल...

कैसे हो काम ( वासना ) से मुक्ति और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति

कैसे हो काम ( वासना ) से मुक्ति और ब्रह्मचर्य की प्राप्ति   हमारी सेक्स ऊर्जा अभी निचे की तरफ बाह रही है इसका बहाव अभी अधोमुखी है और इस तरह  हम सेक्स ऊर्जा को और इस शक्ति  को व्यर्थ में खो रहे है।  यदि हम अपनी सेक्स एनर्जी  को उधर्वमुखी कर ले तो हमें  इस ऊर्जा को खोना नहीं पडेगा और इस तरह हम सेक्स एनर्जी को रचनात्मक कार्यों में प्रयोग कर पाएंगे।  जब यह शक्ति ुधरावमुखी अर्थात ऊपर की और जाने लगेगी तो सेक्स के निचले तल  पर जो आनंद प्राप्ति के लिए हमें दूसरे साथी पर निर्भर रहना परता था अब वही आनंद सेक्स के दूसरे तल पर आपको बिना सेक्स किये ही प्राप्त होगा।  तो हमें अपनी सेक्स एनर्जी को ुधरव्गामान की यात्रा पर भेजना होगा।  और जैसे जैसे यह शक्ति ऊपर को तरफ उठने लगेगी तो आनंद का वह पल जिसके लिए स्त्री पुरुष एक दूसरे को पाने को व्याकुल रहते है और जो बहुत कम समय के लिए होता है. उस पल की अवधि बढ़ने लगेगी अब आप आनंद के उस पल को अधिक से अधिक समय के लिए पा सकेंगें।  लेकिन अब प्रश्न ये है की इस शक्ति का उधर्वगमन कैसे हो ?...